यूं ही पीएम मोदी के सलाहकार नहीं बने भास्कर खुल्बे, सेना और आईएफएस में भी हो चुका चयन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सलाहकार बनाए गए भास्कर खुल्बे उत्तराखंड के नैनीताल में पले बढ़े हैं। उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर से 1979 में जूलॉजी से एमएससी की थी। वह अपने बैच के टॉपर रहे।
 

भास्कर का चयन भारतीय सेना में अधिकारी के पद के लिए हो गया था। उन्होंने छह माह तक ट्रेनिंग भी की लेकिन मेडिकल कारण से उन्हें वापस आना पड़ा। भास्कर ने जेआरएफ  की परीक्षा उत्तीर्ण कर  प्रो. जेएस बिष्ट के निर्देशन में पीएचडी शुरू कर दी थी।

1982 में उनका चयन इंडियन फॉरेस्ट सर्विसेज के लिए हो गया था और इसमें वे अखिल भारतीय स्तर पर तीसरे स्थान पर रहे थे। आईएफ एस की ट्रेनिंग के दौरान भी वे पढ़ाई में लगे रहे और अंतत: उनका चयन आईएएस में हो गया।


तमाम महत्वपूर्ण पदों पर रहे



उन्हें पश्चिम बंगाल कैडर मिला, जहां वे तमाम महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उनका विवाह भी आईएएस अधिकारी मीता के साथ हुआ। उनकी योग्यता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान उन्हें पीएमओ में महत्वपूर्ण पोस्टिंग दी गई थी जहां वे अब तक कार्यरत थे।

भास्कर एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे। उनका  परिवार नैनीताल में तल्लीताल में लक्ष्मी कुटीर के निकट रहता था। उनके पिता ख्यालीराम खुल्बे कांट्रेक्टर थे और उनके दो भाई नवीन व जीवन बैंक अधिकारी रहे।




नाटकों में अभिनय का भी था शौक



भास्कर के साथ डीएसबी में विद्यार्थी रहे अल्मोड़ा परिसर में इतिहास के प्रोफेसर अनिल जोशी और प्रसिद्ध उद्घोषक हेमंत बिष्ट बताते हैं कि भास्कर को कॉलेज के दिनों में नाटकों में अभिनय का भी शौक था।

यद्यपि वे बहुत शांत और सौम्य स्वभाव के थे लेकिन नाटकों में अपने चुलबुले अभिनय से दर्शकों को लोटपोट कर देते थे। कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो केएस राणा और भास्कर के निकट रहे जूलॉजी के प्रोफेसर सतपाल सिंह बिष्ट ने उनकी इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए इसे कुमाऊं विवि के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए विद्यार्थियों से उनसे प्रेरणा लेने की अपील की है।